शब्द का अर्थ
|
धूम-पान :
|
पुं० [ष० त०] १. साधुओं आदि का आग के कुएँ में पड़े रहना। २. सुश्रुत के अनुसार कुछ विशिष्ट प्रकार की औषधियों का धुआँ जो नल द्वारा रोगी को सेवन कराया जाता था। ३. तमाकू, सुरती आदि को सुलगाकर (नशे आदि के लिए) बार-बार खींचकर मुँह में लेना और बाहर निकालना। तमाकू, बीड़ी, सिगरेट आदि पीना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
|